वात, पित्त, और कफ़ का परिचय एवं प्रभाव (संतुलित) त्रिदोषों के असंतुलन की प्रक्रिया और प्रभाव ! शिशिर ( सर्दी) ग्रीष्म (गर्मी) वर्षा आदि प्रमुख ऋतुओं का प्रभाव कभी ऋतुओं के अपने समय से प्रारंभ होकर और निर्धारित समय सीमा तक रहता है|कभी ऋतुओं की निर्धारित अवधि से अधिक समय तक तो कभी कम समय तक रहता है | ऐसे ही ऋतुओं के प्रभाव का वेग कभी उचित अनुपात में रहता है तो कभी प्रभाव का वेग बहुत अधिक या बहुत कम रहता है | किसी एक ऋतु का प्रभाव बहुत अधिक बढ़ जाता है,या उसका समय काफी लंबा खिंच जाता है |किसी किसी वर्ष ऋतुप्रभाव कम समय तक रहता है अर्थात नवंबर दिसंबर तक सर्दी पड़नी शुरू ही नहीं होती है या फिर जनवरी फरवरी से ही सर्दी कम होने लग जाती है | इस प्रकार से कम समय में ही ...
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