Mahamaari
समयविज्ञान !
दो शब्द
शिशिरऋतु का अर्थ होता है ठंडासमय |इसीलिए शिशिरऋतु का समय आने पर सूर्य की किरणें मंद पड़ने लगती हैं| कोहरा पाला हिमपात जैसी घटनाएँ घटित होने लगती हैं|तापमान काफी कम हो जाता है | लोग सर्दी से काँपने लगते हैं |शिशिरऋतु के अनुसार ही संपूर्ण प्राकृतिक वातावरण बनता चला जाता है | प्रकृति भी समय के अनुरूप व्यवहार करने लगती है |इससे यह प्रमाणित होता है कि प्रकृति में हो रहे सभी बदलावों (घटनाओं) का कारण समयका प्रभाव ही है |
ग्रीष्म शब्द का अर्थ होता है उष्ण (गरम) ऋतु का अर्थ है समय ! ग्रीष्मऋतु का अर्थ होता है उष्ण अर्थात गरम समय ! ग्रीष्मऋतु के प्रभाव से तापमान काफी बढ़ जाता है |नदी तालाब आदि सूखने लग जाते हैं |धूल भरी गरम हवाएँ चलने लगती हैं |आँधी तूफ़ान आने की घटनाएँ अधिक घटित होने लग जाती हैं | नदियों तालाबों आदि का पानी सूख जाता है |
ऐसे ही वर्षाऋतु का अर्थ है बारिश का समय ! इसीलिए वर्षाऋतु के समय आकाश में बादलों का आना जाना प्रारंभ हो जाता है| काली काली घटाएँ घिरने लग जाती हैं|उस प्रकार की हवाएँ चलने लगती हैं | बादल बरसना शुरू कर देते हैं | जगह जगह बाढ़ जैसे दृश्य देखने को मिलते हैं |उससे नदियाँ तालाब आदि भर जाते हैं | तापमान कम होने लगता है| वर्षाऋतु में तरह तरह के रोग पैदा होने लगते हैं |
समय की पहचान जितनी पेड़ पौधों को होती है|उतनी ही प्राकृतिक वातावरण में रहने वाले पशु पक्षियों समेत समस्त प्राणियों को होती है |ऐसे परिवर्तनों के प्रभाव से उनके व्यवहार में बदलाव होने लगते हैं| सुनामी भूकंप आदि आने से पहले जंगलों में रहने वाले आदि वासी लोगों को उन स्थानों को छोड़कर कहीं और जाते देखा जाता है |ऐसे स्थानों से पशु पक्षियों को भी कहीं दूर चले जाते देखा जाता है |समय संबंधी परिवर्तनों की पहचान समस्त जीव जंतुओं को होती है|बसंत आते ही कोयलें कूकने लगती हैं| वर्षाऋतु में मेढक टर्राने लगते हैं |प्रातः काल मुर्गे बोलने लगते हैं |ऐसे ही बहुत मनुष्यों को समय के परिवर्तनों का अनुभव आगे से आगे हो जाता है|
जिसप्रकार
से ऋतुओं के आने जाने का समय निश्चित है| अमावस्या पूर्णिमा का समय
निश्चित है|सूर्यादि ग्रहों के उदय और अस्त होने का समय निश्चित है|
प्राकृतिक घटनाएँ अपनी अपनी ऋतुओं में घटित होती हैं उनका भी अपना अपना समय
निश्चित है|इसीप्रकार से भूकंपों
आँधी तूफानों वर्षा बादलों चक्रवातों बज्रपातों आदि के भी आने जाने का
समय भी निश्चित होता है|जिस घटना के घटित होने का जब समय आता है तब वो
घटना घटित हो जाती है |अंतर इतना है कि ऋतुओं तथा अमावस्या पूर्णिमा आदि
तिथियों एवं ग्रहों के उदय अस्त होने के समय को गणितविज्ञान के द्वारा
अनुसंधानपूर्वक खोज लिया गया है | इसलिए इनके विषय में आगे से आगे
पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |सूर्य चंद्र ग्रहणों के विषय में भी
सैकड़ों वर्ष पहले पूर्वानुमान लगा लिया जाता है |
प्राकृतिक घटनाएँ यदि समय के अनुसार घटित होती हैं तो वर्षा बाढ़ भूकंप आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात महामारी आदि भी तो प्राकृतिक घटनाएँ ही हैं |ये भी समय के अनुसार ही घटित होती हैं|प्रकृति और जीवन को समझने के लिए समय के संचार को समझना होगा | इसकी पहचान आदिकाल में ही कर ली गई थी |उस युग में ऐसी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगा भी लिए जाते थे कि प्रकृति और जीवन में कब किस प्रकार की घटना घटित होने वाली है |
इसलिए सभीप्रकार की घटनाओं को समझने एवं उनके विषय में
अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाने के लिए सबसे पहले समय संबंधी संभावित
परिवर्तनों को आगे से आगे समझना एवं इनके विषय में पूर्वानुमान लगाना आवश्यक होता है |
वातादि दोष !(यहाँ रखा जाएगा )
समय के अनुसार घटित होती हैं घटनाएँ !
समय के प्रभाव से प्रकृति में परिवर्तन होते हैं | इनके घटित होने में मनुष्यकृत प्रयत्न सम्मिलित नहीं होते हैं | जिस प्रकार से समय के अनुसार घटित होने वाली सूर्य चंद्र ग्रहण आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगा लिया जाता है | उसी प्रकार से वर्षा बाढ़ भूकंप आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात महामारी आदि प्राकृतिक घटनाओं के विषय में भी समय के अनुसार अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाया जा सकता है |
इसमें गणितविज्ञान के द्वारा समय संबंधी जो जानकारी मिलती है | उसके आधार पर अच्छे बुरे समय के विषय में सैकड़ों वर्ष पहले पूर्वानुमान लगाया जा सकता है | अच्छे बुरे समय के विषय में पूर्वानुमान लगते ही समय के प्रभाव से घटित होने वाली प्राकृतिक घटनाओं के विषय में भी सैकड़ों वर्ष पहले पूर्वानुमान लगाना संभव हो पाएगा |
ऐसी प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने से पहले उनसे संबंधित छोटे छोटे चिन्ह प्रकृति के सभी अंगों में उभरने लगते हैं |ऐसे छोटे से छोटे परिवर्तनों पर ध्यान देना होता है | वे संभावित घटनाओं की सूचना दे रहे होते हैं | प्रकृति के सभी अंगों में होने वाले समय के परिवर्तनों का अनुभव करने का सबसे अच्छा माध्यम प्राकृतिक वातावरण में रहकर प्राकृतिक जीवन जीना होता है |
- पश्चिमी हिंद महासागर में सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव या अपेक्षाकृत अधिक तापमान पाया गया परिणामस्वरूप भारत समेत पूर्वी अफ्रीका में घनघोर वर्षा हुई।
- वर्षा के कारण नम हुए अफ्रीकी रेगिस्तानों ने टिड्डियों के प्रजनन को बढ़ावा दिया और वर्षा की अनुकूल हवाओं द्वारा इन्हें भारत की ओर बढ़ने में सहायता मिली।
समय के साथ साथ प्रकृति में बदलाव होते रहते हैं| समय के संचार में कब कैसे बदलाव हो सकते हैं | इसका पूर्वानुमान गणित के द्वारा सूर्य चंद्र ग्रहणों की तरह सैकड़ों वर्ष पहले लगाया जा सकता है | दूसरी बात समय में कब कैसे बदलाव हो रहे हैं | यह बहुत सूक्ष्मता से देखते रहना होता है | प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से मिलने वाले संकेतों को समझना होता है| यह जानने के लिए एक तो गणित का माध्यम है और दूसरा प्राकृतिक वातावरण एवं पशु पक्षियों के बदलते व्यवहार को बहुत बारीकी से देखते रहना होता है |
प्राकृतिक परिवर्तनों की स्थिति इतनी बिगड़ती जा रही थी कि ऋतुएँ अपनी मर्यादा छोड़ती जा रही थीं | जनवरी फरवरी में तापमान का अस्वाभाविक रूप से बढ़ गया था | अप्रैल मई तक वर्षा होती रही थी !सितंबर में जून की तरह गर्मी होने लगी थी | प्राकृतिक दृष्टि से देखा जाए तो ये मानवता पर काफी बड़ा प्राकृतिक संकट था | ऋतुओं के असंतुलन से आनाज शाक सब्जियों फूलों फलों के गुणधर्म बदलने लगे थे |जिन वृक्षों के लिए कहा जाता है कि कितना भी खाद पानी दो किंतु ये अपने समय से पहले फूलते फलते नहीं हैं | उन वृक्षों को बिना ऋतु आए भी फूलते फलते देखा जा रहा था |कुछ फलों का आकार प्रकार रंग रूप स्वाद आदि बदला बदला सा लग रहा था | लीचियों के आकार अपेक्षाकृत छोटे होने लगे थे |
कुल मिलाकर कोरोना महामारी प्रारंभ होने के कुछ वर्ष पहले से प्राकृतिक वातावरण बहुत तेजी से बदलने लगा था |सन 2014 के बाद दिनोंदिन भूकंप की आवृत्तियाँ बढ़ती जा रही थीं | बार बार भूकंप आते देखे जा रहे थे |हिंसक आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात बाढ़ जैसी हिंसक घटनाएँ बार बार घटित होते देखी जा रही थीं | हैरान परेशान आवारा पशुओं के आक्रामक व्यवहार से किसान परेशान थे | दुनियाभर में कोरोना काल में जानवरों के नए रूप अधिक आक्रमक देखने को मिल रहे थे।ऐसा पहले नहीं होता था और न ही महामारी के बाद उस प्रकार की आक्रामकता रहेगी | महामारीजनित प्रभाव से जीव जंतुओं का स्वभाव आहार विहार आदि काफी बदल गया था |टिड्डियों पक्षियों पशुओं तथा चूहों का प्रजनन अधिक होने से इनकी संख्या अचानक बहुत अधिक बढ़ गई थी | इसी बेचैनी का शिकार होकर कोरोना काल में अनेकों देश एक दूसरे से युद्ध लड़ते देखे जा रहे थे|कई देशों के अंदर अंतर्कलह से बड़ी संख्या में लोग हिंसा की भेंट चढ़ते जा रहे थे |कुछ देशों के अंदर हिंसक घटनाएँ,दंगे,आतंकी घटनाएँ हिंसक विस्फोट एवं हिंसक आंदोलन आदि होते देखे जा रहे थे | कुछ असहिष्णु लोग छोटी छोटी बातों पर दूसरे की हत्या करते देखे जा रहे थे |भारत की दिल्ली समेत समस्त उत्तर भारत में एवं मणिपुर आदि स्थानों पर हिंसक दंगे ,पड़ोसी म्यांमार में हिंसक दंगे होते देखे जा रहे थे |ऐसे ही कोरोनाकाल में मनुष्यों पशुओं पक्षियों आदि में बेचैनी काफी अधिक बढ़ गई थी |
ऐसी प्राकृतिक उथलपुथल का कारण यदि जलवायु परिवर्तन को भी माना जाए तो भी इसे अनुसंधानों की दृष्टि से अत्यंत गंभीरता से लिया जाना चाहिए था | परिस्थितियाँ वर्ष दर वर्ष बिगड़ती चली गईं | दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन होने का उलाहना तो दिया जाता रहा किंतु उसके जो दुष्परिणामों पर भी गंभीर अनुसंधान किए जाने चाहिए थे |
कुलमिलाकर ऋतुओं का प्रभाव जब उचित मात्रा में होता है तो प्राकृतिक वातावरण उत्तम बना रहता है | आनाज शाक सब्जी फल फूल आदि शक्तिबर्द्धन करने वाले होते हैं |स्थूल रूप से देखा जाए तो चार महीने सर्दी चार महीने गर्मी और चार महीने वर्षा के होते हैं | उचित मात्रा में सर्दी और उचित मात्रा में गर्मी एवं उचित मात्रा में वर्षात हो तो प्रकृति अपने स्वास्थ्य के अनुकूल वर्ताव करती है | मनुष्य समेत सभी प्राणी स्वस्थ सुखी बने रहते हैं | ऋतुओं का समय अथवा प्रभाव यदि घटने बढ़ने लगे तो प्राकृतिक वातावरण में विकार आने लगते हैं | मनुष्य समेत समस्त प्राणियों में रोग एवं बेचैनी बढ़ने लगती है | ऐसी स्थिति में ऋतुएँ जब अपनी मर्यादा छोड़ने लगी थीं | जनवरी फरवरी में तापमान अस्वाभाविक रूप से बढ़ने लगा था |अप्रैल मई तक वर्षा होती रहना !सितंबर में जून की तरह गर्मी होने लगी थी तो रोग या महारोग के रूप में इसके दुष्परिणाम भी सामने आने ही थे |
भोजन निर्माण प्रक्रिया में किसी ब्यंजन को बनाते समय सभी द्रव्य उचित मात्रा में डाले जाएँ तभी वह स्वादिष्ट बनता है |नमक मिर्च या कोई घटक द्रव्य कम या अधिक पड़ दिया जाए तो उसका स्वाद तो बदलता ही है गुण धर्म भी बदल जाता है |किसी औषधि का निर्माण करते समय घटकद्रव्य यदि उचित अनुपात में न डाले जाएँ तो निर्मित औषधियाँ लाभ पहुँचाने की जगह हानिकर भी हो सकती हैं |
इसीप्रकार से ऋतुओं का प्रभाव जब अवभाविक रूप से घटने बढ़ने बढ़ने लगा तो ये प्रकृति और स्वास्थ्य दोनों पर ही प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला था | इससे एक ओर शरीर तो रोगी हो ही रहे थे दूसरी ओर प्रकृति भी बिकारित हो रही थी | इसका दुष्प्रभाव यह हुआ जिन रोगों से शरीर रहे थे उन्हीं रोगों का शिकार पेड़ पौधे बनस्पतियाँ अनाज शाक सब्जियाँ आदि हो रहे थे | इसके कारण कुछ महामारी का समय होने के कारण वातावरण में साँस लेने से लोग रोगी हो रहे थे | कुछ रोगी हो चुके अनाज शाक सब्जियाँ आदि खाने से रोगी हो रहे थे | कुछ लोग विकारित बनस्पतियों से निर्मित औषधियों का सेवन करने से रोग बढ़ते जा रहे थे |
मौसम में आ रहे थे बड़े बदलाव ! दे रहे थे महामारी आने की सूचना |
2020 की जनवरी इतिहास की सबसे गर्म जनवरी बताई जा रही थी ! कुल मिलाकर सर्दी के सीजन में सर्दी बहुत कम हुई एवं गर्मी के सीजन में गर्मी कम हुई !मार्च अप्रैल तक वर्षा होती रही | यूरोप में जनवरी का तापमान औसत से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया , जबकि पूर्वोत्तर यूरोप के कई हिस्सों में औसत से 6 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया !जनवरी माह का वैश्विक तापमान अपने चरम पर पहुँच गया था।
भारत में लगातार वर्षा होते रहने के कारण अप्रैल 2020 सबसे ठंडा बीत रहा था,जबकि ब्रिटेन में लू चल रही थी !बताया जाता है कि ब्रिटेन में गर्मी ने पिछले 361 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है.|अप्रैल 2020 में कोरोना, सूखा और तूफान से अमेरिका की हालत दिनोंदिन बिगड़ रहे थे | में बारिश-बाढ़ और भूकंप आदि प्राकृतिक घटनाओं से चीन का बुरा हाल हुआ जा रहा था ! सितंबर 2020 में दिल्ली बासियों को मई-जून जैसी तपिश झेलनी पड़ रही थी ।मॉनसून की विदाई देर से हुई थी | जो पहले 1 सितंबर से होनी शुरू हो जाती थी, वो 17 सितंबर के करीब विदा हुआ था |
कुल मिलाकर कोरोना काल में एशिया, यूरोप, अफ्रीका, अमेरिका, चीन और रूस आदि में मौसम का प्रचंड रूप देखा जा रहा था | दुनिया के कई देशों में मौसम के बदलते मिजाज को देखा गया है. यूरोप से लेकर एशिया और नॉर्थ अमेरिका से लेकर रूस तक कहीं बाढ़ है, कहीं गर्म हवाएँ हैं तो कहीं पर सूखे की स्थिति है. यूरोप के देश , नॉर्थ अमेरिका, एशिया और अफ्रीका में कहीं बाढ़, कहीं तूफान, कहीं हीट वेव, कहीं जंगलों में लगी आग तो कहीं सूखे की स्थिति थी | रूस, चीन, अमेरिका और न्यूजीलैंड में लोग गर्मी, बाढ़ और जंगलों में लगी आग से परेशान थे |पश्चिमी यूरोप में भारी बारिश हो रही थी कहा जा रहा था कि एक सदी में पहली बार ऐसी बाढ़ आई है| बेल्जियम, जर्मनी, लक्जमबर्ग और नीदरलैंड्स में 14और15जुलाई 2020 को इतनी अधिक बारिश हो गई है जितनी दो माह में होती थी | नॉर्थ यूरोप में गर्मी से हालात बिगड़ते जा रहे थे | फिनलैंड जहाँ गर्मी कभी नहीं पड़ती थी , वहाँ भी गर्मी पड़ रही थी | देश के कई हिस्सों में तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा हो गया था | रूस में साइबेरिया का तापमान इतना बढ़ गया था कि 216 ये ज्यादा जंगलों में आग लगी हुई थी | वहीं पश्चिमी-उत्तरी अमेरिका में अत्यधिक गर्मी ने हालात खराब कर दिए थे | कैलिफोर्निया, उटा और पश्चिमी कनाडा में सर्वाधिक तापमान रिकॉर्ड किया गया था | कैलिफोर्निया की डेथ वैली में पिछले दिनों ट्रेम्प्रेचर 54.4 डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुँच गया था | इसी तरह से एशिया के कई देशों जैसे कि चीन, भारत और इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति थी | इसीप्रकार की और बहुत सारी घटनाएँ ऋतुओं की सीमाएँ लाँघकर घटित होते देखी जा रही थीं |
बुरे समय के प्रभाव से आंदोलित हो रहे थे पंचतत्व!
भूकंप आँधी तूफान जैसी जिन प्राकृतिक घटनाओं के लिए पंचतत्वों को दोषी माना जाता है | जल एवं वायु परिवर्तन को दोषी बताया जाता है | वे पंचतत्व भी तो समय के ही आधीन होते हैं | समय के परिवर्तन के साथ साथ उन्हें भी परिवर्तित होना पड़ता है|प्रकृति के संचालन में उन पंचतत्वों की बड़ी भूमिका होती है और पंचतत्वों के संचालन में समय की बड़ी भूमिका होती है | प्रातः काल जलतत्व प्रबल होता है, मध्यान्ह काल में अग्नि तत्व प्रबल रहता है और अपराह्न काल में वायुतत्व प्रबल रहता है |सूर्यास्त के समय सुषुम्ना प्रवाह में आकाशतत्व का प्राबल्य रहता है| इसी प्रकार से रात्रि में या भिन्न भिन्न ऋतुओं में पंचतत्वों के प्रभाव में समय के अनुशार परिवर्तन होते देखे जाते हैं |जब जैसा समय होता है तब तैसे बदलाव होते देखे जाते हैं |
बुरे समय के प्रभाव से जब अचानक पंचतत्वों में कुछ ऐसे बदलाव होने लगते हैं |जो लंबे समय से चले आ रहे प्रकृति क्रम से अलग हटकर घटित होते हैं |पंचतत्व उसप्रकार के परिवर्तन को सहने के अभ्यासी नहीं रहे होते हैं |जिन परिवर्तनों को उन्हें अचानक सहने के लिए बाध्य होना पड़ता है | ऐसे समय में पंचतत्व स्वयं आंदोलित होने लगते हैं | जिनकी बेचैनी उनसे संबंधित प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से देखी एवं अनुभव की जा सकती है | महामारी के समय केवल वायु ही प्रदूषित नहीं होती है उसके साथ साथ पृथ्वी जल अग्नि आकाश आदि सभी विकारों से युक्त असंतुलित होने लगते हैं |सर्दी गर्मी वर्षा आदि ऋतुओं के समय प्रभाव आदि में ऐसे बदलाव होने लगते हैं ,जो हमेंशा होते नहीं देखे जाते हैं| शिशिर(सर्दी)ऋतु में सर्दी का बहुत अधिक या बहुत कम होना या सर्दी की अवधि का घट - बढ़ जाना | ऐसा ही ग्रीष्मऋतु में गर्मी का बहुत अधिक या बहुत कम होना या ग्रीष्मऋतु की अवधि का घट - बढ़ जाना ! ऐसा ही असंतुलन वर्षाऋतु में देखा जाता है !भूकंप आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ बज्रपात चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बार बार घटित होने जैसे लक्षण जितने कम या अधिक होते हैं उतने ही बड़े रोग या महारोग के पैदा होने का संकेत दे रहे होते हैं | ऐसी घटनाओं के आगे या पीछे घटित होने वाली छोटी बड़ी प्राकृतिक घटनाएँ भी उन संकेतों के बारे में ही कुछ सूचित कर रही होती हैं | ऐसी सभी प्राकृतिक घटनाएँ जिस समय घटित होती हैं उस समय का भी महत्त्व होता है |कोरोना महामारी के समय प्राकृतिक वातावरण में ऐसा असंतुलन होते बार बार देखा गया था |
पृथ्वी तत्व -
कोरोना महामारी के समय पृथ्वी तत्व काफी अधिक आंदोलित था | जो भूकंप पहले कभी कभी आते देखे सुने जाते थे | सन 2014 के बाद वही भूकंप बार बार घटित होते देखे जा रहे थे |इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोनाकाल के एक वर्ष में वैश्विक स्तर पर 38,816 बार भूकंप आ चुके थे | डेढ़ वर्ष में केवल भारत में ही 1000 से अधिक भूकंप आए थे | मार्च -अप्रैल 2020 के मात्र डेढ़ महीने में दिल्ली-एनसीआर में 10 बार भूकंप आए थे | 23 नवंबर 2020 को पूरी दुनिया में कुल 95 स्थानों पर भूकंप आए थे | एक सप्ताह में 700 जगहों पर भूकंप आये। एक महीने में 3105 भूकंप पूरी दुनिया में आये। भूकंपों की इतनी अधिकता पहले तो नहीं देखी जा रही थी | इसी समय ऐसा क्यों हुआ ?
17\18जुलाई 2020 को अनेकों स्थानों पर काफी अधिक संख्या में भूकंप आए हैं |इनके बाद 19 जुलाई 2020 से भारत में कोरोना का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया था !
क्या इन भूकंपों से महामारी का भी कोई संबंध होता है | यदि ऐसा नहीं है तो इसी समय इतने अधिक भूकंपों के आने का कारण क्या है |इस संबंध को खोजना अनुसंधानों की जिम्मेदारी है |
2018 के अप्रैल और मई में पूर्वोत्तर भारत में हिंसक आँधी तूफान आए थे | ऐसी आँधी तूफानों की घटनाएँ बार बार घटित हो रही थीं | 2 मई 2018 की रात्रि में आए तूफ़ान से काफी जन धन हानि हुई थी | इसी समय आँधीतूफानों के कारण ऐसी ही कई और हिंसक घटनाएँ घटित हुई थीं | ऐसी वायु तत्व संबंधी असंतुलित घटनाएँ क्या भावी महामारी की सूचना दे रही थीं |
ऋतुध्वंस का ही मतलब है जलवायुपरिवर्तन !
पंचतत्वों के असंतुलित होते ही पैदा होने लगते हैं रोग और महारोग !
महामारी आने के कारण बेचैन थे पशु पक्षी !
गाय ने मुर्गा खाया :
टिड्डियों का आतंक -
28-5-2020- टिड्डियों दिसंबर 2019 से आरंभ हुआ है। टिड्डियों ने सबसे पहले गुजरात तबाही मचाई। अनुमान के तौर पर सिर्फ दो जिलों के 25 हजार हेक्टेयर की फसल तबाह होने का आंकड़ा राज्य सरकार ने पेश किया है।भारत में टिड्डों से प्रभावित राज्य,राजस्थान,पंजाब,मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश इन टिड्डियों से प्रभावित है।
मौसम और टिड्डियों के बीच संबंध !
26 -7- 2016 को प्रकाशित चूहों से संक्रमण और बीमारियां तेजी से फैलती हैं इसलिए प्रधानमंत्री जॉन की ने 2050 तक चूहों और अन्य उपद्रवी जानवरों से छुटकारा पाने की महत्वकांक्षी योजना की घोषणा की है |
8-6-2020-कोरोना वायरस: क्या लॉकडाउन ने चूहों को भी गुस्सैल बना दिया है?
28-5-2021चूहों जन्मदर बढ़ी - 29 -5 -2021 ऑस्ट्रेलिया में चूहों से हाहाकार, खेतों को किया बर्बाद अब घर में लगा रहे आग, भारत को 5 हजार लीटर जहर का ऑर्डर !आस्ट्रेलिया चूहों से बहुत ज्यादा परेशान है. फैक्ट्री और खेतों से निकलने वाले इन चूहों की संख्या लाखों में है, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के लोगों को न सिर्फ परेशान कर दिया है बल्कि वहां लोग चूहों से डरे हुए हैं.| ऑस्ट्रेलिया के कृषि मंत्री एडम मार्शल ने कहा है कि 'अगर हम वसंत तक चूहों की संख्या को कम नहीं कर पाते हैं तो ग्रामीण और क्षेत्रीय साउथ वेल्स में आर्थिक और सामाजिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।' । लाखों की तादाद में चूहों ने किसानों और फैक्ट्री मालिकों को परेशान कर रखा है। लाखों चूहें ऑस्ट्रेलिया के अलग अलग फैक्ट्री और खेतों से निकल रहे हैं |
20-1-2022-हांगकांग में चूहे भी हो रहे कोरोना पॉजिटिव, 2000 से ज्यादा चूहों को मारने का आदेश !22 दिसंबर से पालतू जानवरों की दुकानों से चूहे खरीदने वालों को भी अनिवार्य रूप से कोविड-19 की जांच करानी होगी
भारत में भी मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान समेत कई राज्यों से चूहों के आतंक और करोड़ों के माल की नुकसान की खबरें मिली हैं, हालांकि हमारे यहाँ के चूहे ब्रिटेन के चूहे जितने बड़े नहीं हैं।
ब्रिटेन के चूहों की मुंह से लेकर पूंछ तक की लंबाई करीब 18 से 20 इंच तक देखी गई है। ब्रिटेन ही नहीं, दुनिया के अन्य देश भी लॉकडाउन के दौरान चूहों के आतंक का सामना कर रहे हैं। अमेरिका में, सेंटरफॉर डिसीज कंट्रोल ने चूहों के आक्रामक हो रहे व्यवहार के बारे में लोगों को सचेत किया है।ब्रिटिश पेस्ट कंट्रोल एसोसिएशन के एक सर्वे से पता चला है कि ब्रिटेन में बड़े चूहों के उपद्रव की घटनाओं में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। द सन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में चूहे पकड़ने वालों ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि उनका काम बढ़ गया है। एसोसिएशन की टेक्निकल ऑफिसर नताली बुंगे के मुताबिक: "हमारे पास अब तक ये रिपोर्ट आती थी कि चूहे खाली इमारतों में ठिकाने बना रहे हैं लेकिन,अब ऐसा लगता है कि उनके रहवास का पैटर्न भी बदल रहा है | मैनचेस्टर के रैट कैचर मार्टिन किर्कब्राइड ने टेलीग्राफ को बताया कि, ब्रिटेन में चूहे इतने बढ़ गए हैं जितने कि 200 साल पहले की औद्योगिक क्रांति के दौरान भी नहीं थे। वैज्ञानिकों ने लॉकडाउन के शुरू होने के बाद से ही यहां के उपनगरों में बड़े चूहों की आबादी में बढ़ोतरी देखी है। कुतरने वाले जीवों पर पीएचडी करने वाले अर्बन रोडेन्टोलॉजिस्ट बॉबी कोरिगन कहते हैं कि:हमने मानव जाति के इतिहास में देखा है, जिसमें लोग जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करते हैं। वे पूरी सेना के साथ धावा बोलते हैं और जमीन हथियाने के लिए आखिरी सांस तक लड़ते हैं। और, चूहे भी अब ऐसा ही कर रहे हैं।दिलचस्प बात यह है कि चीनी कैलेंडर के हिसाब से कोरोनावायरस की भेंट चढ़ा साल 2020 चूहों का साल माना गया है।
पशुओं पक्षियों में कोरोना
20 Apr 2020-अमेरिका में एक बाघ में कोरोना पाया गया. वहीं कई जगहों में कुत्तों में भी कोरोना के निशान मिले. अब फ्रांस की राजधानी पेरिस में पानी में कोविड पाया गया है |
05 May 2020-राष्ट्रपति ने कहा-टेस्ट किट सही नहींकोरोना वायरस के ये सैंपल बकरी भेड़ से लिए गए थे। सैंपल को जांच के लिए तंजानिया की लैब में भेजा गया, जहां बकरी आदि कोरोना पॉजिटिव निकले।
28Jul 2020,ब्रिटेन में बिल्ली कोरोना पॉजिटिव, पालतू जानवर में कोविड-19 के मामले मिले |
13Aug2020-चीन से आई चौंकाने वाली खबर, चिकन में भी कोरोना वायरस!चीन ने फ्रोजन चिकनके पंख में भी कोविड-19 के होने की पुष्टि की है.|
समय की शक्ति और विज्ञान
समय को समझना ही है सबसे बड़ा विज्ञान |
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