चौथीलहर-, संदिग्ध

 कोरोना की चौथी  लहर की भविष्यवाणी-

12 फरवरी 2022: को न्यूज 18 में प्रकाशित : 2022 में बेहतर होंगे हालात, लेकिन कोरोना के अंत की भविष्यवाणी सही नहींः WHO विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथनका मानना है कि कोरोनोवायरस की उत्पत्ति का पता लगाने में अभी लंबे समय तक प्रयास करने की जरूरत होगी | 
14फरवरी 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित :मार्च के बाद भारत में खत्म हो जाएगी कोरोना की महामारी, ,केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि चौथी लहर के आने की आशंका बहुत कम है।https://www.jagran.com/news/national-will-the-covid-19-pandemic-end-after-march-know-the-opinion-of-experts-on-the-third-wave-figures-22466939.html

26 फरवरी 2022 को टीवी 9 में प्रकाशित :डॉ. टी. जैकब जॉन, महामारी विज्ञानी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष: इस वर्ष के दौरान किसी भी समय भारत में चौथी कोविड लहर की भविष्यवाणी करने का कोई वैज्ञानिक या संक्रामक साक्ष्य नहीं है, लेकिन हम ये अनुमान नहीं लगा सकते हैं कि वायरस अब अंतिम स्टेज पर है. ओमिक्रॉन वेरिएंट पूरी तरह से अप्रत्याशित था, क्योंकि ये अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा या कप्पा से नहीं था. ये कहाँ से आया, इसका स्रोत अभी तक ज्ञात नहीं है.https://www.tv9hindi.com/india/will-india-witness-the-fourth-covid-wave-in-2022-know-what-is-the-opinion-of-10-experts-1138305.html 
27 फरवरी 2022 को  हिंदुस्तान में प्रकाशित : आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने अगली लहर के समय का कैलकुलेशन लगाया है। MedRxiv में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कोविड की चौथी लहर 22 जून के आसपास आएगी और यह 24 अक्टूबर तक चलेगी।  
28 फरवरी 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित : कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानआइआइटी के गणित और सांख्यिकीय विभाग से संबंधित गणित और सांख्यिकीय विभाग के शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने गासियन वितरण प्रणाली के आधार पर आंकलन करके चौथी लहर आने का पूर्वानुमान बताया है। डा. शलभ के मुताबिक सांख्यिकीय गणना के आधार पर सामने आया है कि भारत में कोविड 19 की चौथी लहर प्रारंभिक डाटा मिलने की तिथि से 936 दिन बाद आ सकती है। चूंकि प्रारंभिक डाटा 30 जनवरी 2020 को सामने आया था, लिहाजा चौथी लहर 22 जून 2022 से शुरू होने के आसार हैं। यही नहीं चौथी लहर 23 अगस्त को अपने चरम पर पहुँच सकती है और 24 अक्टूबर को समाप्त हो सकती है।

28 फरवरी 2022 को हिंदुस्तान में प्रकाशित :मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल के पल्नोलॉजी ऐंड क्रिटिकल केयर सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर हरीश चाफले का कहना है कि ओमिक्रॉन के बाद तक कई लोगों में नैचुरल इम्यूनिटी आ चुकी है। साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों के वैक्सीन भी लग गई है। संभव है चौथी लहर के बाद कोरोना एंडेमिक में बदल जाए और इसके कुछ या न के  बराबर ही केस दिखें।
03 मार्च 2022 को वनइंडिया में  प्रकाशित: लुधियाना के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (सीएमसीएच) ने कोरोना की चौथी लहर को लेकर भविष्यवाणी की है। सीएमसीएच ने उपलब्ध डेटा के आधार पर कहा कि मई के आरंभ में कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना है और यह लगभग 6 सप्ताह तक बनी रह सकती है।
 05 मार्च 2022 को इंडिया टीवी पर प्रकाशित:  जून में कोरोना की चौथी लहर आएगी? जानिए विशेषज्ञों ने अध्ययन में क्यों उठाए सवाल !महामारी विशेषज्ञ और वाशिंटन और नयी दिल्ली स्थित सेंटर फॉर डीसीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के निदेशक रमणन लक्ष्मीनारायण का रुख है कि संभव है कि नई छोटी लहरें आ सकती हैं कि लेकिन आईआईटी कानपुर का पूर्वानुमान स्पष्ट नहीं है।अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर मुखर्जी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘मैं पूर्वानुमान पर विश्वास नहीं करता। मेरे अनुभव के मुताबिक पूर्वानुमान मॉडल अल्पकालिक यानी अगले दो-चार हफ्ते के पूर्वानुमान के लिए अच्छा है। लंबे समय के लिए यह भरोसे मंद नहीं है। क्या कोई दिवाली के समय ओमीक्रोन का पूर्वानुमान लगा सकता था? हमें अतीत के आधार पर ज्ञान के प्रति कुछ विनम्रता रखनी चाहिए।’आईआईटी कानपुर के अध्ययन में जून में कोविड-19 महामारी की चौथी लहर आने का पूर्वानुमान ‘‘आंकड़ा ज्योतिष’’ और कयास हो सकता है | चेन्नई स्थित गणितीय विज्ञान संस्थान (आईएमएससी) के प्रोफेसर सिताभरा सिन्हा ने कहा, ‘‘उपचाराधीन मरीजों की संख्या तेजी से कम हो रही है और मौजूदा परिपाटी को देखकर हम निश्चित तौर पर भविष्य में नयी लहर आने के बारे में नहीं कह सकते हैं।’’हरियाणा स्थित अशोका विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र और जीवविज्ञान विभाग के प्रोफेसर मेनन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं ऐसे किसी पूर्वानुमान पर भरोसा नहीं करता, खासतौर पर जब तारीख और समय बताया गया हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भविष्य के बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकते हैं, क्योंकि संभावित रूप से आने वाला नया स्वरूप अज्ञात है।https://www.indiatv.in/india/national/coronavirus-4th-wave-india-know-what-experts-said-while-questioning-the-forecasting-study-2022-03-05-838456
20 मार्च 2022“को 'पत्रिका' में प्रकाशित : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विषाणु विज्ञान में आधुनिक अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ टी जैकब जॉन ने कहा कि कोरोना की चौथी लहर की भविष्यवाणी करने के लिए कोई वैज्ञानिक, महामारी विज्ञान कारण नहीं है, कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि ऐसा नहीं होगा। मैं कह सकता हूं कि संभावना बहुत कम है।” 
02 अप्रैल 2022 को जनमत न्यूज में प्रकाशित : आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका दावा है कि अगर चौथी लहर आती है तो वह भी तीसरी लहर की तरह ही होगी यानि कम समय के लिए और कम घातक होगी।  प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि अभी कोरोना की चौथी लहर कब आएगी, इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है। हालांकि जब तक नए वेरिएंट का एक केस भी नहीं आता तब तक चौथी लहर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता !
 अप्रैल 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित :गणित और विज्ञान के आईने में कोरोना की चौथी लहर को लेकर बेहद भ्रामक सूचनाएँ आ रही हैं सामने !गणित माडल से भविष्यवाणी करने वालों का कहना है कि कोरोना की चौथी लहर कभी भी आ सकती है | कुछ स्रोत कहते हैं कि लहर अवश्य आएगी, पर जानलेवा नहीं होगी। उधर सरकारें और समाज का एक वर्ग यह बात स्थापित करने पर उतारू है कि कोरोना महामारी खत्म हो गई है, अब कोई लहर नहीं आने वाली।लेकिन दुविधा वाली बात यह है कि चौथी लहर के बारे में विभिन्न स्रोतों से मिलने वाली सूचनाएं तीसरी लहर से पहले आने वाली सूचनाओं जैसी ही विरोधाभाषी हैं। इस कारण भी इनसे भ्रम पैदा हो रहा है। इस मामले में विज्ञान और गणित तक में विभेद है। आइआइटी कानपुर के प्रोफेसरों का गणितीय माडल कहता है कि देश में कोरोना की चौथी लहर अवश्य आएगी। दो महीने बाद जून में इसका असर दिख सकता है, तीन महीने बाद पीक आएगा तथा सितंबर अंत तक यह तेजी से सिमट जाएगी।देश के कई विषाणु विज्ञानी यह दावा कर चुके हैं कि चौथी लहर की कोई आशंका नहीं है।पूर्व प्रोफेसर डा. टी जैकब जान कहते हैं कि कोविड की चौथी लहर की भविष्यवाणी करने के लिए कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। सभी विषाणु विज्ञानी और चिकित्सक एकमत हों ऐसा भी नहीं है।विशेषज्ञ डा. चंद्रकांत लहरिया के अनुसार ओमिक्रान का नया वेरिएंट कोरोना की चौथी लहर लाएगा अवश्य।टीवी पर तर्कातीत होने के आरोप लगते रहते हैं, परंतु तर्क सम्मत बात कहने वाले विज्ञान और गणित ही जब विरोधाभासी दावे कर रहे हों तो राजनीतिक और अधिकारियों के बयानों के बारे में कहना ही क्या।
15 अप्रैल 2022 को आजतक में प्रकाशित : जून में आएगी कोरोना की चौथी लहर ! IIT ने किया था दावा, नए वैरिएंट XE ने बढ़ाया डर !IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने कुछ समय पहले एक रिसर्च की थी. उनकी रिसर्च के मुताबिक, भारत में COVID-19 महामारी की संभावित चौथी लहर 22 जून 2022 के आसपास  शुरू हो सकती है. इस लहर का पीक अगस्त के आखिरी पर चरम पर हो सकता है | चौथी लहर का पता लगाने के लिए सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया गया था, जिसमें पाया गया कि संभावित नई लहर 4 महीने तक चलेगी | 
16 अप्रैल 2022 को नवभारत में प्रकाशित : IIT कानपुर के प्रोफेसर राजेश रंजन ने अपने SIR मॉडल केआधार पर दावा किया है क‍ि देश में चौथी लहर आने की संभावना नहीं है।उन्होंने कहा कि अब तक आई स्टडी से साफ पता चलता है कि ओमीक्रोन के सब-वैरिएंट एक्सई और बीए.2 वैक्सीन और पुराने संक्रमण से पैदा हुई इम्यूनिटी को चकमा देने की क्षमता रखते हैं।https://navbharattimes.indiatimes.com/india/iit-kanpur-prediction-on-coronavirus-fourth-wave-cases-will-increase-locally-then-decrease/articleshow/90871848.cms
18 अप्रैल 2022 को जी न्यूजइंडिया डॉट कॉम पर प्रकाशित : आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने चौथी लहर को लेकर एक दावा किया है. कि चौथी लहर की आशंका बहुत कम है. अगर चौथी लहर आई भी, तो यह घातक नहीं होगी.
23 अप्रैल 2022 को मनीकंट्रोल में प्रकाशित :सर्दियों में कोरोनावायरस संक्रमण का म्यूटेशन और जानलेवा हो सकता है, WHO की चेतावनी !https://hindi.moneycontrol.com/news/india/coronavirus-omicron-high-risk-of-another-wave-in-winter-who-lists-2-ways-to-end-pandemic-this-year-546031.html
10 मई  2022 को न्यूज़ 24 में प्रकाशित : हो जाएँ सावधान! इजराइल के वैज्ञानिकों ने बताया कि कब तक आएगी कोरोना की चौथी लहर!बीजीयू के प्रोफेसर एरियल कुष्मारो ने एक बयान में कहा, "बेशक, इसमें बहुत सारे कारक शामिल हैं, लेकिन हमारा मॉडल यह दर्शाता है कि इस गर्मी में डेल्टा या किसी अन्य कोरोना वायरस वायरस का एक और प्रकोप हो सकता है।"  
10 मई 2022 को न्यूज 18 डॉट कॉम में प्रकाशित: प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने नई स्टडी के बाद दावा किया है कि बहुत मुमकिन है कि भारत को चौथी लहर देखनी ही न पड़े | 

पाँचवीं लहर :

   5 Sept 2022-यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (EMA) की ओर से कहा गया है कि इस सर्दी , यूरोपीय देशों में नया कोविड -19 वेरिएंट सामने आ सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट की ओर से सरकारों से कहा गया है कि ऐसे मामलों के बढ़ने से पहले इस पर रोक लगाने के लिए जरूरी उपाय किए जाएं।                                                                                                                                        ! अनुसंधानों पर  उठते  सवाल !
28 फरवरी 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित : कानपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानआइआइटी के गणित और सांख्यिकीय विभाग से संबंधित गणित और सांख्यिकीय विभाग के शोधकर्ता वैज्ञानिकों ने गासियन वितरण प्रणाली के आधार पर आंकलन करके चौथी लहर आने का पूर्वानुमान बताया है। डा. शलभ के मुताबिक सांख्यिकीय गणना के आधार पर सामने आया है कि भारत में कोविड 19 की चौथी लहर प्रारंभिक डाटा मिलने की तिथि से 936 दिन बाद आ सकती है। चूंकि प्रारंभिक डाटा 30 जनवरी 2020 को सामने आया था, लिहाजा चौथी लहर 22 जून 2022 से शुरू होने के आसार हैं। यही नहीं चौथी लहर 23 अगस्त को अपने चरम पर पहुंच सकती है और 24 अक्टूबर को समाप्त हो सकती है।

05 मार्च 2022 को इंडिया इंडिया टीवी में  प्रकाशित: जून में कोरोना की चौथी लहर आएगी? जानिए विशेषज्ञों ने अध्ययन में क्यों उठाए सवाल !उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के नवीनतम मॉडल अध्ययन में कहा गया था कि संभव है कि कोविड-19 महामारी की चौथी लहर 22 जून से शुरू होकर अगस्त के मध्य तक रह सकती है।वैज्ञानिकों का कहना है कि पूर्वानुमान मॉडल अल्पकालीन पूर्वानुमान के लिए ही अच्छा है और आईआईटी कानपुर के अध्ययन में जून में कोविड-19 महामारी की चौथी लहर आने का पूर्वानुमान ‘‘आंकड़ा ज्योतिष’’ और कयास हो सकता है।आईआईटी कानपुर के शोधकर्ता एस.प्रसाद राजेश भाई, शुभ्र शंकर धर और शलभ द्वारा किए अध्ययन में रेखांकित किया गया है कि संभव है कि वायरस के नये स्वरूप का व्यापक असर होगा।भारत में कोविड-19 के मामलों पर महामारी शुरू होने के बाद से ही नजर रख रहे गौतम मेनन ने कहा, ‘‘बताया गया समय ही अपने आप में संदिग्ध है।’’ हरियाणा स्थित अशोका विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र और जीवविज्ञान विभाग के प्रोफेसर मेनन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं ऐसे किसी पूर्वानुमान पर भरोसा नहीं करता, खासतौर पर जब तारीख और समय बताया गया हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भविष्य के बारे में कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सकते हैं, क्योंकि संभावित रूप से आने वाला नया स्वरूप अज्ञात है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ भ्रमर मुखर्जी ने भी इसपर सहमति जताते हुए कहा कि आईआईटी कानपुर द्वारा लगाया गया पूर्वानुमान आंकड़ा ज्योतिष है न कि आंकड़ा विज्ञान। अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर मुखर्जी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘मैं पूर्वानुमान पर विश्वास नहीं करता। मेरे अनुभव के मुताबिक पूर्वानुमान मॉडल अल्पकालिक यानी अगले दो-चार हफ्ते के पूर्वानुमान के लिए अच्छा है। लंबे समय के लिए यह भरोसेमंद नहीं है।महामारी विशेषज्ञ और वाशिंटन और नयी दिल्ली स्थित सेंटर फॉर डीसीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के निदेशक रमणन लक्ष्मीनारायण का रुख है कि संभव है कि नई छोटी लहरें आ सकती हैं कि लेकिन आईआईटी कानपुर का पूर्वानुमान स्पष्ट नहीं है।  
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2-7-2020-गणितीय मॉडलों से कोविड-19 के मामलों का केवल दो सप्ताह तक का पूर्वानुमान सही हो सकता है |  14 सितंबर 2022 - विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस का कहना है कि भले ही हम अभी महामारी को रोकने को लेकर बेहतर स्थिति में नहीं हैं लेकिन अब कोरोना महामारी का अंत होता दिखाई दे रहा है।पिछले सप्ताह दुनिया भर में कोरोनोवायरस से होने वाली मौतों की संख्या मार्च 2020 के बाद से महामारी में सबसे कम दर्ज की गई। यह पिछले दो साल से अधिक समय से चल रहे वैश्विक प्रकोप में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।
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18 दिसंबर 2021 को राष्ट्रीय COVID-19 सुपरमॉडल समिति के प्रमुख विद्यासागर ने कहा है कि देश में तीसरी लहर आने पर बहुत खराब स्थिति हुई  तो प्रतिदिन दो- लाख से अधिक मामले नहीं होंगे. उन्होंने कहा- "मैं इस बात पर जोर दे देता हूं कि ये अनुमान हैं, भविष्यवाणियां नहीं. हम भविष्यवाणियां कर सकते अगर हम जानते हैं कि भारतीय आबादी पर वायरस का बरताव कैसा कर रहा है | 
8 मार्च  2022 को जी बिजनेस में प्रकाशित :विभिन्न वायरोलॉजिस्ट और अन्य लोगों की भविष्यवाणी  "कोरोना की कोई तीसरी लहर नहीं होगी |" इसके विषय में ICMR के पूर्व डायरेक्टरप्रख्यात वायरोलॉजिस्ट डॉ. टी जैकब जॉन ने  बताया कि कोरोना की तीसरी लहर Omicron वेरिएंट पर आधारित थी. किसी ने भी इसकी भविष्याणी नहीं की थी, और यह धारणा कि कोरोना की कोई तीसरी लहर नहीं होगी, उस समय मौजूदा वेरिएंट पर आधारित थी| 
20 मार्च 2022“को 'पत्रिका' में प्रकाशित :भारतीय चिकित्सा अनुसंधानपरिषद (आईसीएमआर) के विषाणु विज्ञान में आधुनिक अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ टी जैकब जॉन ने कहा कि कोरोना की चौथी लहर की भविष्यवाणी करने के लिए कोई वैज्ञानिक, महामारी विज्ञान कारण नहीं है, कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि ऐसा नहीं होगा। मैं कह सकता हूं कि संभावना बहुत कम है।” 
07अप्रैल 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित : गणित और विज्ञान के आईने में कोरोना की चौथी लहर को लेकर बेहद भ्रामक सूचनाएँ आ रही हैं सामने !गणित माडल से भविष्यवाणी करने वालों का कहना है कि कोरोना की चौथी लहर कभी भी आ सकती है?मीडिया के एक हिस्से ने भी ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के हवाले से ओमिक्रोन के सब वेरिएंट के हाइब्रिड स्ट्रेन से बने नए वेरिएंट एक्सई का खौफ इस तरह फैलाया है कि लोग भयग्रस्त हैं। लोगों की चिंता में विश्व स्वास्थ्य संगठन की आशंकाएं, चीन के कई बड़े शहरों की पाबंदियों आदि का भी योगदान है। कुछ स्रोत कहते हैं कि लहर अवश्य आएगी, पर जानलेवा नहीं होगी। उधर सरकारें और समाज का एक वर्ग यह बात स्थापित करने पर उतारू है कि कोरोना महामारी खत्म हो गई है, अब कोई लहर नहीं आने वाली।दुविधा वाली बात यह है कि चौथी लहर के बारे में विभिन्न स्रोतों से मिलने वाली सूचनाएं तीसरी लहर से पहले आने वाली सूचनाओं जैसी ही विरोधाभाषी हैं। इस कारण भी इनसे भ्रम पैदा हो रहा है। इस मामले में विज्ञान और गणित तक में विभेद है। आइआइटी कानपुर के प्रोफेसरों का गणितीय माडल कहता है कि देश में कोरोना की चौथी लहर अवश्य आएगी। दो महीने बाद जून में इसका असर दिख सकता है, तीन महीने बाद पीक आएगा तथा सितंबर अंत तक यह तेजी से सिमट जाएगी।देश के कई विषाणु विज्ञानी यह दावा कर चुके हैं कि चौथी लहर की कोई आशंका नहीं है।विषाणु विज्ञानी और चिकित्सक एकमत हों ऐसा भी नहीं है। राजधानी दिल्ली के एक वरिष्ठ महामारी विज्ञानी का विचार है कि वायरस में हजार से अधिक उत्परिवर्तन हो चुके हैं और आगे भी होंगे। यह तय है कि यह म्यूटेशन चौथी लहर का कारण बनेगा, एक और विशेषज्ञ डा. चंद्रकांत लहरिया के अनुसार ओमिक्रान का नया वेरिएंट कोरोना की चौथी लहर लाएगा अवश्य।कुछ का कहना है कि इतनी आश्वस्ति से कुछ कहना कठिन है। हमें कुछ और समय इंतजार करना चाहिए, आंकड़े बताएंगे कि नया वेरिएंट लहर पैदा कर पाने में सक्षम है| टीवी माध्यम सनसनी फैला रहा है कि चीन और दक्षिण कोरिया में कोरोना संक्रमण के नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ये हालात कल भारत के भी हो सकते हैं। टीवी पर तर्कातीत होने के आरोप लगते रहते हैं, परंतु तर्क सम्मत बात कहने वाले विज्ञान और गणित ही जब विरोधाभासी दावे कर रहे हों तो राजनीतिक और अधिकारियों के बयानों के बारे में कहना ही क्या।सवाल यह है कि जब वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता संबंधी प्रभाविकता के बारे में यह पक्का पता ही नहीं कि इसका असर साल भर टिकता है कि नहीं तो यह बात पुख्ता तौर पर कैसे कही जा सकती है। पहली और दूसरी डोज लगवाने के बावजूद लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ। वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमण संभव है, पर यह जानलेवा नहीं होगा, ऐसा कहने के बावजूद जानें गईं। ऐसे में यह तो तय है कि जून तक बहुतों की वैक्सीन जनित सुरक्षा खत्म हो चुकी होगी। संक्रमण से पैदा हुई इम्युनिटी व्यक्ति आधारित है, यह कितनी मजबूत होगी यह भी आंकना जटिल है, क्योंकि यह व्यक्तिगत स्तर पर कोरोना के संक्रमण की गंभीरता, जटिलता, वायरस लोड आदि पर निर्भर है।पाबंदियां हटाने के बाद अब सरकार को जागरूकता बढ़ाने के साथ ही भ्रम दूर करने वाला विज्ञान सम्मत अभियान चलाकर जनता को वस्तुस्थिति से अवगत कराना चाहिए।
2 मई 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित  : कोरोना से जुड़ी भविष्यवाणी पर लगे रोक : सतीश महाना!कोरोना महामारी को लेकर तरह-तरह की भविष्यवाणी की जा रही हैं। कोरोना बीमारी है, जबकि डाक्टरों से इतर तमाम विशेषज्ञ हो गए हैं। कई ज्योतिष के जानकार तक इसे लेकर तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। हद तो यह है कि कोरोना की चौथी व पांचवीं लहर आने तक के दावे अभी से किए जा रहे हैं। कोरोना को लेकर इस तरह की भविष्यवाणी पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। ये बातें रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आठ दिवसीय कालेज आफ जनरल प्रैक्टिसनर्स (सीजीपी) के 39वें रिफ्रेशन कोर्स का उद्घाटन करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहीं।

14  मई 2020 को आजतक में प्रकाशित: विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर माइकल रेयान ने चेतावनी दी है कि संभव है कोरोना वायरस हमारे साथ ही रहे उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि  COVID-19 हमारे आस-पास लंबे समय तक रह सकता है और यह भी हो सकता है कि कभी न जाए | डॉक्टर रेयान ने कहा, 'हम एक वास्तविक दुनिया में जी रहे हैं और मुझे नहीं लगता कि कोई भी यह भविष्यवाणी कर सकता है कि यह बीमारी कब तक खत्म हो पाएगी.मुझे लगता है कि इस स्थिति में कोई भी वादा करना या वायरस खत्म होने की बात कहना सही नहीं होगा. यह बीमारी लंबी भी चल सकती है  | 


15अप्रैल 2021 को नव भारत में प्रकाशित: नितिन गडकरी बोले- '1 महीने के भीतरकितना खतरनाक हो जाएगा कोरोना, कोई नहीं जानता, तैयार रहें लोग !
2 मई 2021-को एक समाचारपत्र में प्रकाशित "भारत के वैज्ञानिकों के एक समूह ने कहा है कि भारत में आई कोरोना वायरस की दूसरी लहर की प्रकृति कैसी है, इसको लेकर कोई सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। कोरोना वायरस मामलों की वृद्धि का पूर्वानुमान लगाने के लिए गणितीय मॉडल पर काम कर रहे वैज्ञानिकों के एक समूह ने कहा कि है वे देश में आई विनाशकारी दूसरी लहर के सटीक प्रक्षेपवक्र (ट्रेजेक्ट्री) का अनुमान नहीं लगा सकते है क्योंकि समय के साथ वायरस की गतिशीलता और इसकी संक्रामकता में काफी बदलाव आया है।विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी और आइआइटी कानपुर के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल, एकीकृत रक्षा कर्मचारी उप प्रमुख माधुरी कानिटकर और आइआइटी हैदराबाद के प्रोफेसर एम. विद्यासागर द्वारा हस्ताक्षरित एक बयान में कहा गया है कि गणितीय मॉडल ने कोरोना वायरस की दूसरी लहर और अप्रैल के तीसरे हफ्ते में इसकी पीक की भविष्यवाणी की थी जिस दौरान लगभग एक लाख मामले रोज सामने आ रहे थे। उन्होंने उन रिपोर्टो को भी खारिज कर दिया है कि सूत्र मॉडल पर काम करने वाले वैज्ञानिकों ने मार्च में दूसरी लहर के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन उनकी चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया गया था।" 

विशेष बात :
26 May 2022-रिपोर्ट:अमर उजाला में प्रकाशित : 2020 में कोरोना नहीं, इन बीमारियों से गई देश में सबसे अधिक लोगों की जान, चौंका देगी आपको यह रिपोर्ट !देश में मौतों का तीसरा प्रमुख कारण जो कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों का 8.9 प्रतिशत है, उसे कोविड-19 के तहत वर्गीकृत किया गया है। 45 साल से ऊपर उम्र वालों की मौत दिल की बीमारी से हुई।वर्ष 2020 में देश में पंजीकृत कुल 81.15 लाख चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित मौतों में हृदय रोग, निमोनिया और अस्थमा ने सबसे अधिक 42 प्रतिशत लोगों की जान ली है। मौत के कारणों पर चिकित्सा प्रमाणन रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त द्वारा तैयार रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 ने लगभग नौ प्रतिशत लोगों की जान ली। इस बीमारी से कुल 1,60,618 लोगों की मौत हुई। जहाँ संचार प्रणाली के रोगों ने 32.1 प्रतिशत लोगों की जान ली है,वहीं श्वसन प्रणाली से संबंधित बीमारियों से 10 प्रतिशत लोगों की मौत हुई है।
 1 अप्रैल 2020-कोरोना वायरस की कोई दवा नहीं फिर भी देश में कैसे ठीक हो रहे हैं लोग?
3 जून 2020 दैनिक भास्कर में प्रकाशित :पश्चिमी देशों के कोरोना हॉटस्पॉट में टेस्ट के लिए लोग नहीं मिल रहे, चीन के बाद अमेरिका और यूके में ये नई परेशानी !
प्रो. फ्रांसिस कोलिंग्स ,डायरेक्टर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ अमेरिका ने कहा है "अगर अमेरिका में तेजी से मामले गिरते हैं तो ट्रायल के लिए दूसरे  होगा !"
आयफर अली-  ड्रग एक्सपर्ट वारविक विजनेस स्कूल ब्रिटेन ने कहा है -"अगर कोरोना वायरस अस्थाई तौर पर ख़त्म हुआ तो पूरी मेहनत ब्यर्थ हो जाएगी !ट्रायल शिफ्ट करना होगा !"               
एड्रियन हिल -डायरेक्टर जेनर इंस्टीट्यूट ,ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी ने कहा है -"ब्रिटेन में ट्रायल के लिए दस हजार वालेंटियर की जरूरत है | पर्याप्त लोग न मिलने पर ट्रायल रोकना पड़ सकता है |" -https://www.bhaskar.com/happylife/news/corona-hotspots-not-available-for-vaccine-trials-now-preparing-for-testing-in-mexico-and-brazil-community-infection-centers-127370259.html

26 मई 2022 को अमर उजाला में प्रकाशित:कोरोना नहीं, इन बीमारियों से गई देश में सबसे अधिक लोगों की जान, चौंका देगी आपको यह रिपोर्ट | देश में मौतों का तीसरा प्रमुख कारण जो कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों का 8.9 प्रतिशत है, उसे कोविड-19 के तहत वर्गीकृत किया गया है। 45 साल से ऊपर उम्र वालों की मौत दिल की बीमारी से हुई। वर्ष 2020 में देश में पंजीकृत कुल 81.15 लाख चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित मौतों में हृदय रोग, निमोनिया और अस्थमा ने सबसे अधिक 42 प्रतिशत लोगों की जान ली है। मौत के कारणों पर चिकित्सा प्रमाणन रिपोर्ट 2020 के अनुसार, भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त द्वारा तैयार रिपोर्ट बताती है कि कोविड-19 ने लगभग नौ प्रतिशत लोगों की जान ली। इस बीमारी से कुल 1,60,618 लोगों की मौत हुई। जहां संचार प्रणाली के रोगों ने 32.1 प्रतिशत लोगों की जान ली, वहीं श्वसन प्रणाली से संबंधित बीमारियों से 10 प्रतिशत लोगों की मौत हुई।  
  निमोनिया, अस्थमा और संबंधित बीमारियों से होने वाली मौतों को श्वसन तंत्र के रोगों के कारण होने वाली मौतों में दर्ज किया गया। तीसरा प्रमुख कारण जो कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों का 8.9 प्रतिशत है, उसे विशेष उद्देश्यों के लिए कोड: कोविड-19 के तहत वर्गीकृत किया गया था। कुछ संक्रामक और परजीवी रोग, जो मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण थे, उसमें मुख्य रूप से सेप्टीसीमिया और तपेदिक थे। पांचवां प्रमुख कारण अंतःस्रावी, पोषण और मेटाबोलिक संबंधी रोग था जो कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों का 5.8 प्रतिशत रहा। इस श्रेणी के तहत मधुमेह और मेलिटस मौत का प्रमुख कारण थे।देश में मौतों का छठा प्रमुख कारण चोट, जहर, और बाहरी कारण (फ्रैक्चर, दवाओं का जहर और जैविक पदार्थ) रहे। यह कुल मौतों का 5.6 प्रतिशत था। नियोप्लाज्म (कैंसर) सातवां प्रमुख कारण था, जो कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों का 4.7 प्रतिशत रहा। कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मृत्यु में पुरुष 64 प्रतिशत और महिलाएं 36 प्रतिशत थीं। सबसे अधिक मौतें (कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों का 5,17,678 या 28.6 प्रतिशत) 70 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में हुई। 45 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लिए संचार प्रणाली के रोग (हृदय रोग) मौत का पहला प्रमुख कारण था
कुल चिकित्सकीय प्रमाणित मौतों में (1 वर्ष से कम आयु) कुल 5.7 प्रतिशत शिशुओं की मौत हुई। सभी शिशुओं की मृत्यु का लगभग 71.7 प्रतिशत प्रसवकालीन अवधि के दौरान मुश्किलें पैदा होने से हुई। 15-24 वर्ष के आयु वर्ग में संचार प्रणाली से जुड़ी बीमारी से सबसे अधिक 18 प्रतिशत मौतें हुईं। इसके बाद चोट, जहर, और बाहरी कारणों से 15.7 प्रतिशत मौतें हुईं।  


26 मई 2022 को जी न्यूज में प्रकाशित: साल 2020 में मार्च के बाद देश में लंबा लॉकडाउन होने के बावजूद 1 लाख 31 हजार लोगों ने रोड एक्सीडेंट्स में अपनी जां गंवा दी. सरकार ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि 2019 के मुकाबले 2020 में 18 प्रतिशत कम एक्सीडेंट्स हुए. लेकिन 2020 में मार्च के बाद से सड़कों पर गाड़ियों की संख्या भी ना के बराबर थी. कोरोनावायरस महामारी की वजह से भारत में लॉकडाउन लग चुका था. उसके बाद भी देश में सवा लाख से ज्यादा लोगों की जान सड़क हादसों में चली गईhttps://zeenews.india.com/hindi/india/not-only-because-of-corona-in-2020-millions-lost-their-lives-because-of-this-too-in-india-shocking-report/1197721



IIT

कोरोना महामारी की चौथी लहर :
27 फरवरी 2022 को हिंदुस्तान पर प्रकाशित: इससे पहले आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में कोविड  की चौथी लहर 22 जून के आस पास आएगी जो 24 अक्टूबर तक चलेगी |
28 फरवरी 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित:भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानपुर के गणित और सांख्यिकीय विभाग के शोधकर्ताओं ने गासियन वितरण प्रणाली के आधार पर आंकलन करके चौथी लहर आने का पूर्वानुमान बताया है। डा. शलभ के मुताबिक सांख्यिकीय गणना के आधार पर सामने आया है कि भारत में कोविड 19 की चौथी लहर 22 जून 2022 से शुरू होने के आसार हैं। यही नहीं चौथी लहर 23 अगस्त को अपने चरम पर पहुंच सकती है और 24 अक्टूबर को समाप्त हो सकती है।
15 अप्रैल 2022 को आजतक में प्रकाशित:जून में आएगी कोरोना की चौथी लहर! कानपुर IIT ने किया था दावा, नए वैरिएंट XE ने बढ़ाया डर!IIT कानपुर के गणित और सांख्यिकी विभाग के सबरा प्रसाद राजेश भाई, सुभरा शंकर धर और शलभ के नेतृत्व में यह स्टडी की गई इस स्टडी से पता चलता है कि चौथी लहरचौथी लहर का पता लगाने के लिए सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया गया था, जिसमें पाया गया कि संभावित नई लहर 4 महीने तक चलेगी !
16 अप्रैल 2022 को नवभारत में प्रकाशित:IIT  कानपुर के प्रफेसर राजेश रंजन ने अपने SIR मॉडल के आधार पर दावा किया है क‍ि देश में चौथी लहर आने की संभावना नहीं है।आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ने कहा है कि भारत में कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना नहीं है। SIR मॉडल के आधार पर IIT प्रोफेसर राजेश रंजन ने यह जरूर कहा कि स्थानीय स्तर पर केस बढ़ सकते हैं। जहाँ भी ऐसा होगा, वहाँ कुछ दिनों तक केस बढ़ेंगे। इसके बाद गिरावट शुरू हो जाएगी। इधर, बायोमेडिकल वैज्ञानिक डॉ. गगनदीप कांग ने कहा, ‘यह पता नहीं चला है कि किस वेरिएंट की वजह से केसों में उछाल है। 
 आईआईटी कानपुर के प्रो. मणींद्र अग्रवाल के वक्तव्य :
02 अप्रैल  2022 को जनमत न्यूज में प्रकाशित: आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका दावा है कि अगर चौथी लहर आती है तो वह भी तीसरी लहर की तरह ही होगी यानि कम समय के लिए और कम घातक होगी। इस दौरान सिर्फ सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।  प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि अभी कोरोना की चौथी लहर कब आएगी, इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है। हालांकि जब तक नए वेरिएंट का एक केस भी नहीं आता तब तक चौथी लहर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता | 
13अप्रैल 2022 को प्रभात खबर में प्रकाशित:आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर का दावा, कोरोना की चौथी लहर होगी बेहद कमजोर है | अगर म्यूटेंट में बदलाव होता है और कोई नया वायरस आता है, उस वक्त क्या स्थिति रहती है, इस पर अभी टिप्पणी नहीं की जा सकती है | 
18 अप्रैल 2022 को जी न्यूज में प्रकाशित:आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मणीन्द्र अग्रवाल ने चौथी लहर को लेकर एक दावा किया है. कि चौथी लहर की आशंका बहुत कम है. अगर चौथी लहर आई भी, तो यह घातक नहीं होगी | 
19 अप्रैल 2022 को आजतक में प्रकाशित : प्रो मणींद्र अग्रवाल गणितीय सूत्र मॉडल के आधार पर भविष्यवाणी करते हैं. उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा कि कोरोना की चौथी लहर आने की संभावना कम है |
10 मई 22 को न्यूज 18 पर प्रकाशित :प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने नई स्टडी के बाद दावा किया है कि बहुत मुमकिन है कि भारत को चौथी लहर देखनी ही न पड़े | 
23 जून 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित : IIT कानपुर के प्रोफेसर का दावा- कोरोना केस बढ़ेंगे !कोरोना के बढ़ते केसों ने लोगों के माथे पर तनाव की लकीरें खींच दी हैं। आईआईटी प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने अपने गणितीय सूत्र मॉडल से भी यह कहा है कि कोरोना संक्रमण की रफ्तार जुलाई में बढ़ेगी। देश में 22 से25 हजार केस रोजाना आ सकते हैं। यह केस अधिकतर दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल राज्यों में बढ़ेंगे। 
25 जून 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित: कोरोना महामारी की चौथी लहर पर आई आई टी कानपुर के दो वैज्ञानिकों के अलग अलग वक्तव्य !आईआईटी प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने चौथी लहर की आशंका से इनकार किया है तो वहीं दूसरी ओर प्रोफेसर सुभ्रा शंकर धर कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले चौथी लहर आने का संकेत दे रहे हैं।चौथी लहराने के संकेत मानते हुए प्रोफ़ेसर का कहना है हालांकि सही आकलन एक सप्ताह बाद संक्रमण के आंकड़ों के आधार पर किया जाएगा। 
चौथी लहर के अनुमान का खंडन 
05 मार्च 2022 को इंडिया टीवी में प्रकाशित: जून में कोरोना की चौथी लहर आएगी? जानिए विशेषज्ञों ने अध्ययन में क्यों उठाए सवाल !महामारी विशेषज्ञ और वाशिंटन और नयी दिल्ली स्थित सेंटर फॉर डीसीज डायनेमिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के निदेशक रमणन लक्ष्मीनारायण का रुख है कि संभव है कि नई छोटी लहरें आ सकती हैं कि लेकिन आईआईटी कानपुर का पूर्वानुमान स्पष्ट नहीं है।अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में वैश्विक स्वास्थ्य के प्रोफेसर मुखर्जी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘मैं पूर्वानुमान पर विश्वास नहीं करता। मेरे अनुभव के मुताबिक पूर्वानुमान मॉडल अल्पकालिक यानी अगले दो-चार हफ्ते के पूर्वानुमान के लिए अच्छा है। लंबे समय के लिए यह भरोसेमंद नहीं है। क्या कोई दिवाली के समय ओमीक्रोन का पूर्वानुमान लगा सकता था? हमें अतीत के आधार पर ज्ञान के प्रति कुछ विनम्रता रखनी चाहिए।’’
8 मार्च 2022 को वेव दुनियाँ में प्रकाशित :चौथी लहर के पूर्वानुमान पर विशेषज्ञों ने उठाए सवाल !यह मॉडल अल्पकाल के लिए ही अच्छा है | 
8 मार्च 2022को टीवी -9 पर प्रकाशित :अमेरिकी विश्व विद्यालय के प्रोफेसर भ्रमर मुखर्जी ने उठाए सवाल !कहा की आई आई टी कानपुर द्वारालगाया गया पूर्वानुमान आंकड़ा ज्योतिष है।
20मार्च 2022को पत्रिका डॉट कॉम पर प्रकाशित :कोरोना की चौथी लहर की भविष्यवाणी करने के लिए कोई वैज्ञानिक, महामारी विज्ञान कारण नहीं है, लेकिन कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि ऐसा नहीं होगा। मैं कह सकता हूं कि संभावना बहुत कम है।” ये बातें जानेमाने विषाणु विज्ञानी (वायरोलॉजिस्ट) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विषाणु विज्ञान में आधुनिक अनुसंधान केंद्र के पूर्व निदेशक डॉ टी जैकब जॉन ने कही हैं | उन्होंने कहा, “मुझे समझ में नहीं आता कि मनुष्य में डर को कैसे और किन उद्देश्यों के लिए पैदा करने की जरूरत है। इसलिए मैं गणितीय मॉडलिंग के आधार पर एक कोविड-19 लहर की भविष्यवाणी करने में विश्वास नहीं करता।मैं चौथी लहर की भविष्यवाणी से बिल्कुल सहमत नहीं हूं, लेकिन मैं स्पष्ट रूप से यह नहीं कह रहा हूं कि चौथी लहर की संभावना नहीं है, इसके लिए हमें इंतज़ार करना होगा और देखना होगा।”
7 अप्रैल 2022 को दैनिकजागरण में प्रकाशित :गणित और विज्ञान के आईने में कोरोना की चौथी लहर को लेकर बेहद भ्रामक सूचनाएं आ रही सामने !गणित माडल से भविष्यवाणी करने वालों का कहना है कि कोरोना की चौथी लहर कभी भी आ सकती है?चौथी लहर के बारे में विभिन्न स्रोतों से मिलने वाली सूचनाएं तीसरी लहर से पहले आने वाली सूचनाओं जैसी ही विरोधाभाषी हैं। इस कारण भी इनसे भ्रम पैदा हो रहा है। इस मामले में विज्ञान और गणित तक में विभेद है। आइआइटी कानपुर के प्रोफेसरों का गणितीय माडल कहता है कि देश में कोरोना की चौथी लहर अवश्य आएगी। दो महीने बाद जून में इसका असर दिख सकता है, तीन महीने बाद पीक आएगा तथा सितंबर अंत तक यह तेजी से सिमट जाएगी।दूसरी तरफ देश के कई विषाणु विज्ञानी यह दावा कर चुके हैं कि चौथी लहर की कोई आशंका नहीं है।राजधानी दिल्ली के एक वरिष्ठ महामारी विज्ञानी का विचार है कि वायरस में हजार से अधिक उत्परिवर्तन हो चुके हैं और आगे भी होंगे। यह तय है कि यह म्यूटेशन चौथी लहर का कारण बनेगा, एक और विशेषज्ञ डा. चंद्रकांत लहरिया के अनुसार ओमिक्रान का नया वेरिएंट कोरोना की चौथी लहर लाएगा अवश्य।कुछ का कहना है कि इतनी आश्वस्ति से कुछ कहना कठिन है। हमें कुछ और समय इंतजार करना चाहिए, आंकड़े बताएंगे कि नया वेरिएंट लहर पैदा कर पाने में सक्षम है कि नहीं,
15 अप्रैल 2022 को  आजतक पर प्रकाशित :वैज्ञानिक मूल्य पर जांचना जरूरी: नीति आयोग !इस साल जुलाई में COVID-19 की चौथी लहर की भविष्यवाणी करने वाले IIT-कानपुर की स्टडी पर नीति आयोग ने कहा था !वह इस तरह की स्टडी को बड़े सम्मान के साथ देखती है, लेकिन अभी यह जांचना बाकी है कि इस स्पेशल रिपोर्ट का वैज्ञानिक मूल्य है या नहीं.नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने कहा था, IIT-कानपुर की स्टडी विख्यात लोगों द्वारा दिया गया मूल्यवान इनपुट है. लहर आने का सारा अनुमान डेटा और आंकड़ों पर आधारित है और हमने समय-समय पर अलग-अलग अनुमान भी देखे हैं. हमने कई बार यह अनुमान इतने अलग देखे हैं कि केवल अनुमानों के आधार पर निर्णय लेना समाज के लिए असुरक्षित होगा. सरकार इन अनुमानों को उचित सम्मान के साथ देखती है क्योंकि ये प्रतिष्ठित लोगों द्वारा की हुई रिसर्च है | 
2 मई 2022 को दैनिक जागरण में प्रकाशित :कोरोना से जुड़ी भविष्यवाणी पर लगे रोक : सतीश महाना!कोरोना महामारी को लेकर तरह-तरह की भविष्यवाणी की जा रही हैं। कोरोना बीमारी है, जबकि डाक्टरों से इतर तमाम विशेषज्ञ हो गए हैं। कई ज्योतिष के जानकार तक इसे लेकर तरह-तरह के दावे कर रहे हैं। हद तो यह है कि कोरोना की चौथी व पांचवीं लहर आने तक के दावे अभी से किए जा रहे हैं। कोरोना को लेकर इस तरह की भविष्यवाणी पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। ये बातें रविवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के आठ दिवसीय कालेज आफ जनरल प्रैक्टिसनर्स (सीजीपी) के 39वें रिफ्रेशन कोर्स का उद्घाटन करते हुए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहीं।

29 Oct 2022 को नवभारत में प्रकाशित :कोरोना वायरस उत्पत्ति : बहस छिड़ी लेकिन सबूत अब भी कमजोर https://navbharattimes.indiatimes.com/india/corona-virus-origin-debate-erupts-but-evidence-still-weak/articleshow/95160405.cms
नवंबर 2022 को दैनिकजगरण में प्रकाशित :कोरोना की उत्पत्ति का सुलझे रहस्य, महामारी से अब तक 60 लाख से ज्‍यादा लोगों की मौत !कोविड-19 महामारी के करीब तीन साल बीत जाने के बाद यह बहस जारी है कि यह आखिर आई कहां से? यह कोई प्राकृतिक प्रकोप है या मानव-निर्मित आपदा? महामारी के शुरुआती दौर में इसके स्रोत पर काफी चर्चा हुई। तब कहा गया कि यह समय कोविड से सबको एकजुट होकर लड़ने का है, न कि आरोप-प्रत्यारोप और विवाद का। इस वजह से यह बहस धीमी पड़ गई और ठीक से जांच नहीं की जा सकी। अब वे सवाल दोबारा उठाए जा रहे हैं। वजह है अमेरिकी सीनेट की स्वास्थ्य समिति की रिपोर्ट में कोरोना वायरस के चीनी प्रयोगशाला से लीक होने का दावा।अमेरिकी सीनेट द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट में वायरस की लैब उत्पत्ति को लेकर कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसलिए कई विशेषज्ञ इस पर सवाल उठा रहे हैं।फरवरी और मार्च 2020 में दो प्रतिष्ठित साइंस जर्नलों लैंसेट और नेचर मेडिसिन में प्रकाशित शोधपत्रों में दावा किया गया कि यह वायरस प्राकृतिक क्रमिक विकास का परिणाम है। उक्त शोधपत्रों के अनुसार, अगर ये वायरस लैब निर्मित होता तो सिर्फ और सिर्फ इंसानों के जानकारी में पाए जाने वाले कोरोना वायरस के जीनोम सीक्वेंस से ही इसका निर्माण किया जा सकता। हालांकि, जब कोरोना के जीनोम को अब तक के ज्ञात जीनोम सीक्वेंस से मैच किया गया तब वह पूर्णतया प्राकृतिक और अलग वायरस के तौर पर सामने आया।मानवता के हित में कोरोना की सच्चाई का सामने आना बेहद जरूरी है! मई 2021 तक, ‘प्राकृतिक तरीकों से वायरस की उत्पत्ति’ को ही ज्यादा बल मिलता रहा, पर इसके बाद यह सामने आया कि जिन विज्ञानियों ने लैंसेट और नेचर मेडिसिन में वायरस के किसी प्रयोगशाला से लीक होने की संभावनाओं को नकारा था, उनमें से कई विज्ञानियों के तार कोरोना वायरस में जेनेटिक फेरबदल के ‘गेन आफ फंक्शन’ अनुसंधान से जुड़े थे। विज्ञान और मानवता के हित में कोरोना की सच्चाई का सामने आना बेहद जरूरी है, न सिर्फ इस सवाल के जवाब के लिए कि जिस वायरस ने अब तक लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया उसकी उत्पत्ति कैसे हुई, बल्कि इस जानकारी से भविष्य में ऐसी किसी महामारी को फैलने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने में भी मदद मिलेगी।https://www.jagran.com/news/national-mystery-of-covid-19-coronavirus-has-killed-more-than-60-lakh-people-so-far-23183433.html
15 नवंबर 2022 को न्यूज 18 पर प्रकाशित:-क्या एक रहस्य ही बनी रहेगी कोविड-19 महामारी की उत्पत्ति?कोविड-19 (Covid-19) महामारी के वायरस की मूल स्रोत की खोज तीन साल से पड़ताल चल रही है. शोधकर्ताओं ने वैसे तो जीनोम (Genome) का तुलना कर के 12 नजदीकी पूर्वज (Virus Ancestors) खोजे हैं, लेकिन उन्होंने यह भी पाया है कि वायरस के अलग अलग हिस्सों को अलग अलग समय के पूर्वजों से संबंध हैं और उसका सीधे पूर्वज का पता लगाना अब असंभव ही लग रहा हैhttps://hindi.news18.com/photogallery/knowledge/covid-19-origins-will-most-likely-remain-a-mystery-4900893.html
14 सितंबर 2022 को नवभारत में  प्रकाशित:-जिनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में , डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयसस ने कहा कि भले ही हम अभी महामारी को रोकने को लेकर बेहतर स्थिति में नहीं हैं लेकिन अब कोरोना महामारी का अंत दिखाई दे रहा है।क्योंकि पिछले सप्ताह दुनिया भर में कोरोनोवायरस से होने वाली मौतों की संख्या मार्च 2020 के बाद से महामारी में सबसे कम दर्ज की गई। यह पिछले दो साल से अधिक समय से चल रहे वैश्विक प्रकोप में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।https://navbharattimes.indiatimes.com/india/world-health-orgnisation-chief-tedros-adhanom-ghebreyesus-said-covid-end-in-sight-know-corona-cases-in-world-corona-death-update/articleshow/94208055.cms

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27 मई 2022 को जी न्यूज पर प्रकाशित :- 2020 में कोरोना से ही नहीं, इस वजह से भी लाखों ने गंवाई जान; चौंका देगी ये रिपोर्ट !2020 में सड़क हादसे - 3 लाख 66 हजार 138, 2019 में सड़क हादसे - 4 लाख 49 हजार 2020 में सड़क हादसों में मौंतों की संख्या - 1 लाख 31 हजार 714,2019 में सड़क हादसों में मौंतों की संख्या - 1 लाख 51 हजार 113

आई आई कानपुर के मणींद्र अग्रवाल  के द्वारा दिए गए एक साक्षात्कार के आधार पर -

 05 फरवरी 2022 को  दैनिक जागरण में प्रकाशित :"आई आई कानपुर के मणींद्र अग्रवाल ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि कोरोना की पहली लहर की जब शुरुआत हुई तो भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने एक माडल चुनने के लिए 10 सदस्यीय कमेटी बनाई थी, जो कोरोना के वर्तमान और भविष्य में प्रसार का सटीक आकलन कर सके। उस कमेटी में मैं भी सदस्य था। कमेटी के सामने देश के कई गणितज्ञों ने करीब 35 माडल प्रस्तुत किए। इनमें से दो माडलों का चयन हुआ, लेकिन वह अपेक्षाओं की कसौटी पर खरे नहीं उतरे। तब मैैंने अगस्त 2020 में एसएआइआर (सस्पेक्टेड एसिंप्टमैटिक इंफेक्टेड रिकवर) दो माडल तैयार किया। उसके आधार पर यह भविष्यवाणी की गई कि कोरोना की पहली लहर सितंबर में चरम पर होगी और आकलन सही निकला। डीएसटी को यह माडल अच्छा लगा। इसके बाद उस माडल की कुछ कमियों को दूर करके दिसंबर 2020 में सूत्र (सिंप्टमैटिक अनडिटेक्टेड टेस्टेड पाजिटिव रिकवर्ड एप्रोच) माडल तैयार किया।

    देश की जनसंख्या को इन चार वर्गों में विभाजित करके डेटा का आकलन किया जाता है। इसमें संक्रमण के लक्षण वाले लोगों की संख्या, ऐसे मामले जिनमें संक्रमण का पता न लगा हो, संक्रमित पाए गए लोगों की संख्या और ठीक हो चुके लोगों की संख्या के आधार पर आकलन किया जाता है। यह माडल जनवरी 2021 में फाइनल हुआ और उसकी मदद से अब दूसरी और तीसरी लहर के दौरान संक्रमण के प्रसार की गति को सटीक रूप से मापा जा रहा है।हमारे सूत्र माडल के आधार पर भी लोगों को सचेत रहने और उसकी रोकथाम के लिए सरकारी इंतजाम दुरुस्त करने में मदद मिल रही है।

   अगर सटीक डेटा मिले तो सूत्र माडल कई और बातों की भी जानकारी दे सकता है।माडल का इस्तेमाल केवल आंकड़ों के आधार पर होता है, लिहाजा टेस्ट व प्रभावित लोगों के सही आंकड़े उपलब्ध होने चाहिए।

   कोरोना की पहली लहर और दूसरी लहर के दौरान सामने आए संक्रमित मामलों के आधार पर तीसरी लहर का अनुमान लगाया था। जैसे-जैसे तीसरी लहर बढऩी शुरू हुई और उसके आंकड़े सामने आने शुरू हुए तो तीसरी लहर चरम पर कब-कब और कहां होगी? इसका आकलन किया गया। इसके मुताबिक इसी माह 23 से 25 जनवरी के बीच देश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर चरम पर होगी और फरवरी से संक्रमण के मामले कम होने शुरू हो जाएंगे। फरवरी के अंत व मार्च की शुरुआत में कोरोना संक्रमण कमोबेश खत्म होने के आसार हैं। चौथी लहर के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वायरस लगातार म्यूटेंट होता है।फरवरी के अंत व मार्च की शुरुआत में कोरोना संक्रमण कमोबेश खत्म होने के आसार हैं। चौथी लहर के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि वायरस लगातार म्यूटेंट होता है।"

इस साक्षात्कार में ध्यान देने वाली बातें - मणींद्र अग्रवाल जी के वक्तव्य के अनुशार - "मैैंने अगस्त 2020 में एसएआइआर (सस्पेक्टेड एसिंप्टमैटिक इंफेक्टेड रिकवर) दो माडल तैयार किया। उसके आधार पर यह भविष्यवाणी की गई कि कोरोना की पहली लहर सितंबर में चरम पर होगी और आकलन सही निकला।"

    इसमें विशेष बात यह है कि भारत में कोरोना थोड़ा बहुत तो चल ही रहा था  धीरे धीरे बढ़ रहा था किंतु जुलाई के पहले सप्ताह से कोरोना तेजी से बढ़ने लगा था 31 मई को 8782 संक्रमित मिले थे जबकि 30 जून को 18641 मामले आए थे इसके बाद  29 जुलाई को एक दिन में  50,294 संक्रमित आए थे | 

    ऐसी परिस्थिति में संक्रमण जब मई जून जुलाई तक क्रमशः बढ़ता ही जा रहा था तो अगस्त में भी बढ़ना ही था इसलिए उसी क्रम में आगे  बढ़ता  रहा था |बढ़ने की गति तीव्र थी इसलिए अभी कुछ सप्ताह तक तो बढ़ना ही था | इसी अगस्त में दो मॉडल तैयार किए गए ! जिनके आधार पर सितंबर में कोरोना का पीक होने की भविष्यवाणी की गई !जिसमें किसी तारीख की चर्चा नहीं है | इसमें वैज्ञानिक अनुसंधानों जैसा था क्या अपितु सब कुछ क्रमिक रूप से होता चला जा रहा था  | इसमें आम लोगों के द्वारा लगाए  जाने वाले अंदाजे से नया क्या था ?  इसके बाद इसमें सुधार किया गया  और माडल की कुछ कमियों को दूर करके दिसंबर 2020 में सूत्र  माडल तैयार किया।तब तक पहली लहर पूरी हो चुकी थी | 



                                 महामारी से मुक्ति दिलाने के उपाय और उनके प्रभाव ! 

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